समीक्षक: आपकी किताब के प्रकाशन के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयां। हमलोग जानना चाहेंगे की आपका लेखक बनने का सफर कब और कैसे शुरू हुआ ?
अंशुल शुक्ला: नमस्कार मैं अंशुल शुक्ला (खुर्द) मै उत्तर प्रदेश के जालौन जिले से हूँ। मेरी उम्र 19 साल है और इस समय मैं ग्रेजुएशन कर रहा हूँ । सबसे पहले Evincepub Publishing (Self Publisher in India) को धन्यवाद जो मुझ जैसे छोटे लेखक को अपनी किताब प्रकाशित करने अवसर दिया।
समीक्षक: आपके उत्तर के लिए धन्यवाद, आपको लिखने की प्रेरणा कहाँ से मिली ?
अंशुल शुक्ला: मैं 12th क्लास में था। मेरी उम्र 17 साल थी उस समय मैने यह पुस्तक लिखी। मैं अपने जीवन में कुछ ऐसा करना चाहता जो मेरे न रहने के बाद भी हमेशा इस दुनिया में रहे तो उस समय कुछ लेखकों के बारे में पढा जो आज भी अपनी लेखनी से अमर है। और उनमें खासकर स्व. राजीव दीक्षित जी, जो स्वदेशी के प्रचारक थे उनसे भी मुझे लिखने की प्रेरणा मिली।
समीक्षक: आपकी पहली किताब जो अभी प्रकाशित हुई है, कृपया उसके बारे में हमे बताइये। इस किताब में लोगो को क्या पढ़ने को मिलेगा ?
अंशुल शुक्ला: इसमें पाठकों को अपनी संस्कृति, धर्म एवं भाषा के प्रति काफी कुछ ऐसा मिलेगा जो वो नही जानते और वो भी सब कुछ विज्ञान द्वारा मान्यता प्राप्त है। इसे पढ़ने और जांचने के बाद आप अपने भाषा, संस्कृति एवं धर्म को और सम्मान देंगे।
समीक्षक: लेखन के क्षेत्र में आपका उद्देश्य क्या है ?
अंशुल शुक्ला: मेरे लिखने का उद्देश्य अपनी महान संस्कृति से भारतीय युवाओ को परिचित कराना है, एवं हिंदी भाषा को खोया हुआ सम्मान वापस दिलाना है।
समीक्षक: आप एक अच्छे पाठक भी होंगे। आपको किस तरह की किताब पढ़ना पसंद है ?
अंशुल शुक्ला: मुझे हिंदी किताबें पढ़ना ज्यादा है। और जो पुराने भारतीय इतिहास से जुडी हो और सबसे ज्यादा भगवत गीता पढ़ना पसन्द है क्योंकि उसमें इंसान के हर सवाल का जवाब है।
समीक्षक: क्या आप और किताब भी लिख रहे हैं ? आपकी अगली किताब के बारे में बताइये अगर आप कोई नयी किताब लिख रहे हैं।
अंशुल शुक्ला: जी हाँ, मैं अपनी दूसरी किताब लिख रहा हूँ। उसमे दुनिया की कई रोचक बातों को विस्तार से लिख रहा हूँ। जिसे पढ़कर आपको कई बातों की जानकारी मिलेगी और उसे पढ़कर पाठकों को काफी अच्छा लगेगा, जल्द ही वह पुस्तक आपकी बीच होगी।
समीक्षक: आपके इस प्रेस विज्ञप्ति को बहुत लेखक और पाठक पढ़ेंगे, उनके लिए आप कोई सन्देश देना चाहते हैं? कृपया अपने पाठको को सन्देश दें।
अंशुल शुक्ला: सम्मानित पाठकों को मै यही कहना चाहूंगा अगर आप भी लेखक बनना चाहते हो तो सबसे पहले अच्छे पाठक बनिए फिर अपनी बात को सही तरीके से कापी पर उतारिये। निश्चित ही आप एक अच्छे लेखक बन सकते हैं और सभी लेखकों से विनती है कि अपनी लेखनी से कुछ ऐसा भी करिए की युवा देश, धर्म, संस्कृति और भाषा के प्रति जागरूक हों क्योंकिं जिस देश ने अपनी भाषा एवं संस्कृति छोड़ी उसका अस्तित्व ज्यादा दिन नहीं रहता।
आशा है आप सभी पाठकों को मेरी पुस्तक पसन्द आएगी।