Manuja is full of life and has energetic personality. She is kind, honest and friendly. Her write ups and her positive attitude helps immensly in battling personal life issues. Her articles change your thinking process. Her thoughts are honest and her deep insight into human mind amaze eveyone. She understands life and people better because she see things from other person’s perspective. Her writeups are meaningful and touching”. MANN EK PANCHHI and MUSKURAAYA KARO “are compilation of poems. Her poems serve as mirrors to the time in which we are living. The major theme of her poems are humanity, nature, everyday experiences .of life.

“मन एक पंछी” जिन अनुभवों से गुज़रकर हम और ज़्यादा वैचारिक हो जाएं, पहले से ज़्यादा कल्पनात्मक हो जाएं, और ज़्यादा उदात्त हो जाएं… ऐसी अनुभवजन्य और विराट कविताओं का संग्रह है (“मन एक पंछी” क़िस्से कविताओं के), जैसा कि इस किताब का नाम है, बिल्कुल उसी तरह इसे बनाया गया है. इसे कविता संग्रह कहना इसलिए उचित नहीं होगा कि इसमें कविताएं तो हैं, पर वे अपनी कहानियों के साथ हैं. १५ कविताओं वाली इस किताब में मनुजा जी  ने हर कविता के साथ, कविता से भी बड़ा एक ऐसा संदेश  दिया है, जो उस कविता के जन्म लेने की कहानी है या फिर उस कविता में आए जज़्बात की नीव है। इनमें कहीं आंसू हैं, तो कहीं आक्रोश है. कहीं व्यंग्य है, तो कहीं विचार है। यह किताब किसी डायरी की तरह प्रतीत होती है, जो आपको मनुजा  के जीवन और उनकी सोच के भीतर झांकने का मौक़ा देती है. इस लिहाज से पुस्तक का नाम सटीक प्रतीत होता है कि यह उनके पंछी की तरह चंचल मन की अभिव्यक्ति है। जीवन और उसके अनुभव से जुड़ी ये कविताएं रुचिकर हैं, और साथ ही ये कविताएं आपके दिलो-दिमाग़ पर गहरी छाप न छोड़ जाएं, ऐसा नहीं होता. हां, इस किताब को पढ़ते हुए आप अपनी ज़िंदगी के किसी बीते हुए लम्हे में ज़रूर पहुंच जाते हैं और उन्हें याद करने लगते हैं, जो पुस्तक को सार्थक बना देता है. पुस्तक की लेखिका ने ख़ुद भी स्पष्ट किया है कि ये उनके अंदर की वह आवाज़ है, जिसे उन्होंने अपनी डायरी में दबा रखा था.

लेखक ने बड़ी ही बारीक़ी से इन कविता को आम लोगों के जीवन से जोड़ा है. ये कविता मानव जीवन के विविध आयामों की पड़ताल करती हैं. यह पाठकों के आसपास की दुनिया को सजीव करते हुए उन्हें समाज और जीवन पर सोचने पर मजबूर करती हैं.जैसे मनुजा जी की कविता से – “व्रत” जिसमें  मनुजा जी ने  बताया है की बेटा कैसे भी बर्ताव करे अपने माँ बाप से लेकिन माँ बाप कभी भी उनको दोषी नहीं मानते और जीवन के हर पड़ाव को पर साथ देते हैं, यही सोच कर आज नहीं तो कल मेरा बेटा जरूर समझेगा।  ये सभी  कल्पनाओं से परे जीवन की वास्तविकताओं से जुड़ी हुई लगती हैं. जीवन के विभिन्न रंगों को मनुजा जी ने कविताओ का विषय बनाया है.  सबसे बड़ी ख़ूबी है कि लेखक पाठकों के साथ आत्मीय संबंध स्थापित करने में सफल रहे हैं

मनुजा जी की कविताओं की ख़ासियत उनकी सहजता है. वे ऐसे विषयों को कविता में ढाल देते हैं, जिनसे आप लगभग रोज़ ही रूबरू होते हैं. वे ऐसी घटनाएं दर्ज़ कर देते हैं, जो आपके पड़ोस में घट चुकी होती हैं. वे चौंकाने का उपक्रम बिल्कुल नहीं करते. वे आपसे संवाद करते हैं. आप नहीं मानते हैं, तो आपको आपके हाल पर छोड़ देते हैं. यही वजह है कि उनकी कविताएं बड़ी आत्मीय होती हैं. कविता हमारे मन में स्वयमेव रची जाती रहती कविताओं की ही छवियां हैं. दरअस्ल, कवि स्थानिकता की संवेदनाओं की मार्मिक अभिव्यक्ति कर पाने में आश्चर्यजनक रूप से क़ामयाब होता है.  हालांकि इस आत्मीयता के चक्कर में कई बार वे सरलीकरण का शिकार भी होती दिखती हैं. कुछ कविताओं को पढ़ते हुए लगता है कि जैसे ये कवि की शुरुआती कविताएं हों.

Ratings:
3/5

Author Name:  Manuja  Jain
Book Title:  Mann Ek Panchhi 
Publisher: Bluerose publication
Review By:  Kalpna  at Criticspace

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